Mujhe Kuch Kehna Hai
ISBN 9788119221370
 Publication Date
  Pages 80

PAPERBACK

EBOOK (EPUB)

EBOOK (PDF)

मुझे कुछ कहना है दिलीप त्रिवेदी का पहला कविता-संकलन है I इनकी कविताओं में मानव जीवन के सभी रंग झलकते हैंI ज़िंदगी में जितने भी रंग हैं उन सभी को अपनी कविता के कैनवास पर छिड़क कर उन्होंने ये संकलन तैय्यार किया है. उनकी कविताओं में हर्ष है, विषाद है, प्रेम और रोमैन्स है, हास्य-व्यंग हैI राजनैतिक घटनाओं और कोविड -काल की भयावहता, इंसान की विवशता, और उससे उपजी आम आदमी की समस्याओं का वर्णन इस संकलन में उनकी कविताओं में है I पर इन सब अलग-अलग भावों को जो एक भाव एक सूत्र में पिरोता है, वो है उनका जीवन के प्रति अटल आशावाद I

1.इबादत
2.एक ख़्वाहिश
3.सुबह
4.ज़िंदगीनामा
5.अल्फ़ाज़
6.इमारतें
7.एक इल्तिज़ा
8.तर्ज़-ए-ज़िंदगी
9.बुलबुला
10.ग़ुरूर-ए-जवानी
11.जाविदां कहानी
12.ख़्वाब
13.उम्मीद
14.जुस्तजू
15.हौसले
16.कदम उठा के तो देखो
17.छांह न ढूँढो
18.पसीना
19.जुलूस
20.आराइशे शहर
21.आँखों में जलन
22.बदलाव
23.आईना
24.आज का चलन
25.नया सबेरा
26.आया चुनाव
27.प्रजातंत्र की जयजयकार
28.जम्हूरियत
29.एक गुज़ारिश
30.अपने किस्से, अपने फ़साने
31.आलमे जुल्मत
32.शोला
33.क़त्ल का फ़रमान
34.आज का हिंदुस्तान
35.झुनझुना
36.गुरु दक्षिणा
37.इंतज़ार
38.रात
39.खिजां
40.गुज़रा ज़माना
41.सुबह भी तो होगी
42.यादें
43.लम्हों का सफ़र
44.रौशन रातें
45.चाँदनी रात
46.तुम हो
47.सदा
48.महबूब के नाम
49.ख़याल
50.पर तुम नहीं आयीं
51.मश्के सुख़न

मुझे कुछ कहना है

मुझे कुछ कहना है

मुझे कुछ कहना है

दिलीप त्रिवेदी

मुझे कुछ कहना है

दिलीप त्रिवेदी

पहला संस्करण, 2023

© दिलीप त्रिवेदी, 2023

इस प्रकाशन का कोई भी भाग लेखक की पूर्व अनुमति के बिना (संक्षिप्त उद्धरण के मामले को छोड़कर) पुनः प्रस्तुत, फ़ोटोकॉपी सहित किसी भी रूप में या किसी भी माध्यम से वितरित, या प्रसारित, रिकॉर्डिंग, या अन्य इलेक्ट्रॉनिक या यांत्रिक़ तरीके से नहीं किया जा सकता है। आलोचनात्मक समीक्षाओं और कुछ अन्य गैर वाणिज्यिक प्रयगों की कॉपीराइट कानून द्वारा अनुमति है। अनुमति के अनुरोध के लिए प्रकाशक को नीचे दिए गए पते पर लिखें।

यह पुस्तक भारत से केवल प्रकाशकों या अधिकृत आपूर्तिकर्ता द्वारा निर्यात की जा सकती है। यदि इस शर्त का उल्लंघन हुआ तो वह सिविल और आपराधिक अभियोजन के अंतर्गत आएगा ।

पेपरबैक आई एस बी एन: 978-81-19221-31-8

नोट: पुस्तक का संपादन और मुद्रण करते समय उचित सावधानी बरती गई है। अनजाने में हुई गलती की ज़िम्मेदारी न लेखक और न ही प्रकाशक की होगी।

पुस्तक के उपयोग से होने वाली किसी भी प्रत्यक्ष परिणामी या आकस्मिक नुकसान के लिए प्रकाशक उत्तरदायी नहीं होंगे। बाध्यकारी त्रुटि, ग़लत प्रिंट, गुम पृष्ठ, आदि की सम्पूर्ण ज़िम्मेदारी प्रकाशक की होगी। ख़रीद की एक महीने के भीतर ही पुस्तक का (वही संस्करण/ पुनः मुद्रण) प्रतिस्थापन हो सकेगा।

भारत में मुद्रित और बाध्य

।nfo@16leaves.com

पहला संस्करण, 2023

© दिलीप त्रिवेदी, 2023

इस प्रकाशन का कोई भी भाग लेखक की पूर्व अनुमति के बिना (संक्षिप्त उद्धरण के मामले को छोड़कर) पुनः प्रस्तुत, फ़ोटोकॉपी सहित किसी भी रूप में या किसी भी माध्यम से वितरित, या प्रसारित, रिकॉर्डिंग, या अन्य इलेक्ट्रॉनिक या यांत्रिक़ तरीके से नहीं किया जा सकता है। आलोचनात्मक समीक्षाओं और कुछ अन्य गैर वाणिज्यिक प्रयगों की कॉपीराइट कानून द्वारा अनुमति है। अनुमति के अनुरोध के लिए प्रकाशक को नीचे दिए गए पते पर लिखें।

यह पुस्तक भारत से केवल प्रकाशकों या अधिकृत आपूर्तिकर्ता द्वारा निर्यात की जा सकती है। यदि इस शर्त का उल्लंघन हुआ तो वह सिविल और आपराधिक अभियोजन के अंतर्गत आएगा ।

पेपरबैक आई एस बी एन: 978-81-19221-31-8

नोट: पुस्तक का संपादन और मुद्रण करते समय उचित सावधानी बरती गई है। अनजाने में हुई गलती की ज़िम्मेदारी न लेखक और न ही प्रकाशक की होगी।

पुस्तक के उपयोग से होने वाली किसी भी प्रत्यक्ष परिणामी या आकस्मिक नुकसान के लिए प्रकाशक उत्तरदायी नहीं होंगे। बाध्यकारी त्रुटि, ग़लत प्रिंट, गुम पृष्ठ, आदि की सम्पूर्ण ज़िम्मेदारी प्रकाशक की होगी। ख़रीद की एक महीने के भीतर ही पुस्तक का (वही संस्करण/ पुनः मुद्रण) प्रतिस्थापन हो सकेगा।

भारत में मुद्रित और बाध्य

।nfo@16leaves.com

पहला संस्करण, 2023

© दिलीप त्रिवेदी, 2023

इस प्रकाशन का कोई भी भाग लेखक की पूर्व अनुमति के बिना (संक्षिप्त उद्धरण के मामले को छोड़कर) पुनः प्रस्तुत, फ़ोटोकॉपी सहित किसी भी रूप में या किसी भी माध्यम से वितरित, या प्रसारित, रिकॉर्डिंग, या अन्य इलेक्ट्रॉनिक या यांत्रिक़ तरीके से नहीं किया जा सकता है। आलोचनात्मक समीक्षाओं और कुछ अन्य गैर वाणिज्यिक प्रयगों की कॉपीराइट कानून द्वारा अनुमति है। अनुमति के अनुरोध के लिए प्रकाशक को नीचे दिए गए पते पर लिखें।

यह पुस्तक भारत से केवल प्रकाशकों या अधिकृत आपूर्तिकर्ता द्वारा निर्यात की जा सकती है। यदि इस शर्त का उल्लंघन हुआ तो वह सिविल और आपराधिक अभियोजन के अंतर्गत आएगा ।

पेपरबैक आई एस बी एन: 978-81-19221-31-8

नोट: पुस्तक का संपादन और मुद्रण करते समय उचित सावधानी बरती गई है। अनजाने में हुई गलती की ज़िम्मेदारी न लेखक और न ही प्रकाशक की होगी।

पुस्तक के उपयोग से होने वाली किसी भी प्रत्यक्ष परिणामी या आकस्मिक नुकसान के लिए प्रकाशक उत्तरदायी नहीं होंगे। बाध्यकारी त्रुटि, ग़लत प्रिंट, गुम पृष्ठ, आदि की सम्पूर्ण ज़िम्मेदारी प्रकाशक की होगी। ख़रीद की एक महीने के भीतर ही पुस्तक का (वही संस्करण/ पुनः मुद्रण) प्रतिस्थापन हो सकेगा।

भारत में मुद्रित और बाध्य

।nfo@16leaves.com

आभार

यूँ तो समय-समय पर मेरे सभी दोस्त और परिचित मुझे अपनी कविताओं को प्रकाशित करने के लिए प्रोत्साहित करते रहे हैं पर मैंने अब तक इसे कभी गम्भीरता से नहीं लिया था। मैं उन सभी मित्रों और शुभचिंतकों का शुक्रगुज़ार हूँ जिन्होंने प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में मुझे इस अभियान के लिए प्रेरित किया।

दो मित्रों का यहाँ पर ज़िक्र करना और उनका शुक्रिया अदा करना ज़रूरी है। एक तो है मेरा स्कूल का सहपाठी, गौतम सरकार, जिसने मेरे मन के किसी कोने में छुपी, दबी इस ख़्वाहिश को माचिस लगा कर भड़काया और मुझे अपनी कविताओं को सबके सामने लाने पर आमादा किया; और दूसरे, मेरे ही स्कूल के मेरे सीनियर श्री अरुण रॉय जिन्होंने मेरे आत्मविश्वास और लगन की कंपकंपाती लौ को अपनी मज़बूत हथेलियों से ढक कर महफ़ूज़ रखा, बुझने नहीं दिया। ये किताब अगर आज आपके हाथों में है तो इसका ज़्यादा श्रेय इन दो महानुभावों को जाता है।

इनके अलावा मै ख़ास तौर पर शुक्रगुज़ार हूँ श्री के. पी. एस. वर्मा साहब और श्रीमती सुषमा सक़्सेना जी का जिन्होंने बहुत धीरज के साथ इसे पढ़ा और अपने बेशक़ीमती मशवरे दे कर इसे बेहतर बनाने में मेरी अहम मदद की।

और मेरी शरीके-हयात रत्ना, जहाँ से मेरी हर बात शुरू होती है और वहीं पहुँच कर मुकम्मल होती है। मेरी हर कोशिश में उनका बेलौस साथ होता है और जिनकी मदद के बिना मेरा कोई काम पूरा नहीं होता।

अंत में मैं शुक्र गुज़ार हूँ, मेरे प्रकाशक 16Leaves और उनकी टीम का जिन्होंने ने इसे आप तक पहुँचाया। वर्ना ये गुमनामी के अंधेरे में ही खोयी रहतीं।

आभार

यूँ तो समय-समय पर मेरे सभी दोस्त और परिचित मुझे अपनी कविताओं को प्रकाशित करने के लिए प्रोत्साहित करते रहे हैं पर मैंने अब तक इसे कभी गम्भीरता से नहीं लिया था। मैं उन सभी मित्रों और शुभचिंतकों का शुक्रगुज़ार हूँ जिन्होंने प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में मुझे इस अभियान के लिए प्रेरित किया।

दो मित्रों का यहाँ पर ज़िक्र करना और उनका शुक्रिया अदा करना ज़रूरी है। एक तो है मेरा स्कूल का सहपाठी, गौतम सरकार, जिसने मेरे मन के किसी कोने में छुपी, दबी इस ख़्वाहिश को माचिस लगा कर भड़काया और मुझे अपनी कविताओं को सबके सामने लाने पर आमादा किया; और दूसरे, मेरे ही स्कूल के मेरे सीनियर श्री अरुण रॉय जिन्होंने मेरे आत्मविश्वास और लगन की कंपकंपाती लौ को अपनी मज़बूत हथेलियों से ढक कर महफ़ूज़ रखा, बुझने नहीं दिया। ये किताब अगर आज आपके हाथों में है तो इसका ज़्यादा श्रेय इन दो महानुभावों को जाता है।

इनके अलावा मै ख़ास तौर पर शुक्रगुज़ार हूँ श्री के. पी. एस. वर्मा साहब और श्रीमती सुषमा सक़्सेना जी का जिन्होंने बहुत धीरज के साथ इसे पढ़ा और अपने बेशक़ीमती मशवरे दे कर इसे बेहतर बनाने में मेरी अहम मदद की।

और मेरी शरीके-हयात रत्ना, जहाँ से मेरी हर बात शुरू होती है और वहीं पहुँच कर मुकम्मल होती है। मेरी हर कोशिश में उनका बेलौस साथ होता है और जिनकी मदद के बिना मेरा कोई काम पूरा नहीं होता।

अंत में मैं शुक्र गुज़ार हूँ, मेरे प्रकाशक 16Leaves और उनकी टीम का जिन्होंने ने इसे आप तक पहुँचाया। वर्ना ये गुमनामी के अंधेरे में ही खोयी रहतीं।

0<U 5Digital ID Class 3 - Microsoft Software Validation v21#0!UAdobe Systems Incorporated0�"0  *�H�� �0� ���S](�a��q�<9>Z������8���-kJ��'����K�w�dO��������cƲ�� p��5R�!��2, b��ד�q� Ѯq`UtRЮ�U��\�7�K\��Ԓ��b�js�P��V�J^r����Ӓ���k �'O�Q�^i��g�(�� ��|�Z�xk�v�2C�r?�ri�T� ������CԒtJ����0K��@XW`֏������COe?r^���q�)�� x���K���͡������{0�w0 U00U��0@U90705�3�1�/http://csc3-2010-crl.verisign.com/CSC3-2010.crl0DU =0;09 `�H��E0*0(+https://www.verisign.com/cps0U% 0 +0q+e0c0$+0�http://ocsp.verisign.com0;+0�/http://csc3-2010-aia.verisign.com/CSC3-2010.cer0U#0�ϙ��{&�KɎ���&��ҧ�0 `�H��B0 +�70�0  *�H�� ��ha���RĎA�}o�����˷k��8eb1Dۛ�93����l������[�O-Y���cּ�+t{-�t6�^����{���8L�,��N*���􍕁3�d�HD"4_cq�h��Q�8������%�� ��0�� ~�;��#� �%� ���2����R�ٚ*>���A.�/oI �l�+��/��}�iߔ��v���4+v��.>��jA���/���l @@�O!������gs�`����K(5���0� 0��R�%V�����K3�0  *�H�� 0��1 0 UUS10U VeriSign, Inc.10U VeriSign Trust Network1:08U 1(c) 2006 VeriSign, Inc. - For authorized use only1E0CU ߖ���q�U�&J@<��&� �m���%{Ͽ?�/���wƵV�z;T0S�b4���Z�(��LN~[�������u���G��r�.4���L~��O =W�0֦6�րv�.��~4-����0��0U�0�0pU i0g0e `�H��E0V0(+https://www.verisign.com/cps0*+0https://www.verisign.com/rpa0U�0m+ a0_�]�[0Y0W0U image/gif0!00+�������k�πj�H,{.0%#http://logo.verisign.com/vslogo.gif04U-0+0)�'�%�#http://crl.verisign.com/pca3-g5.crl04+(0&0$+0�http://ocsp.verisign.com0U%0++0(U!0�010UVeriSignMPKI-2-80Uϙ��{&�KɎ���&��ҧ�0U#0��e�����0 �C9��3130  *�H�� �V"�4��a�H��V�dٌ�Ļ� �z�"�G8J-l�q|�p���O� S�^�t�I$��&�G�Lc���4��E� �&sЩ�dm�q��E`YQ9�Xk�Ԥ�yk Ar�7" �#�?D��a�̱�\�=ҍ�B=e6Դ=@(���#&�K ː]�L4�<��7�o� �4�&ٮ �Ś���!�3o��X�%|tX�uc?�1|�����Sv�[�����퓺]�!S‚Sc� P�=TR��,�=��.Ǔ�H��1�0� 0��0��1 0 UUS10U VeriSign, Inc.10U VeriSign Trust Network1;09U 2Terms of use at https://www.verisign.com/rpa (c)101.0,U%VeriSign Class 3 Code Signing 2010 CAt%S�����MI�h0 +���0 +�7(10 *�H��  1  +�70 +�7 10  +�70" +�7 10��www.adobe.com 0# *�H��  1�:U��Y�A$�{�|����Z�0  *�H�� �H�/���옕���S2�%���N�8��(-���o�����<��1�2���O���*9�+z�/]b����Hzk���&}j����O�����TE�À��7E|T�V�TW.Yf�����S��W��:�o�tW]����>�H8�Tգ44����H��Y��v�_��k��$n�q�,$Cq��CpNH�1��x}Ѣ�(փ+�����x��ӡP �ئSl��9�D��H�+��.8s�ك�a {PkWWGh����0�{ *�H��  1�l0�h0g0S1 0 UUS10U VeriSign, Inc.1+0)U"VeriSign Time Stamping Services CAy�����Bٸ>����0 +�]0 *�H��  1  *�H�� 0 *�H��  1 120920172836Z0# *�H��  1��Y�6{�8�>|�&|no�bX0  *�H�� ��|�H���O��gZ,U�j��,2�9Jg����2��^D�:��5�!�7j 6Ӱj�),R�m*:�Xe7�˝02@b�Xa� ��#|��,�|�9���Ǟ�������3��N3�nT�H����Á�� ߖ���q�U�&J@<��&� �m���%{Ͽ?�/���wƵV�z;T0S�b4���Z�(��LN~[�������u���G��r�.4���L~��O =W�0֦6�րv�.��~4-����0��0U�0�0pU i0g0e `�H��E0V0(+https://www.verisign.com/cps0*+0https://www.verisign.com/rpa0U�0m+ a0_�]�[0Y0W0U image/gif0!00+�������k�πj�H,{.0%#http://logo.verisign.com/vslogo.gif04U-0+0)�'�%�#http://crl.verisign.com/pca3-g5.crl04+(0&0$+0�http://ocsp.verisign.com0U%0++0(U!0�010UVeriSignMPKI-2-80Uϙ��{&�KɎ���&��ҧ�0U#0��e�����0 �C9��3130  *�H�� �V"�4��a�H��V�dٌ�Ļ� �z�"�G8J-l�q|�p���O� S�^�t�I$��&�G�Lc���4��E� �&sЩ�dm�q��E`YQ9�Xk�Ԥ�yk Ar�7" �#�?D��a�̱�\�=ҍ�B=e6Դ=@(���#&�K ː]�L4�<��7�o� �4�&ٮ �Ś���!�3o��X�%|tX�uc?�1|�����Sv�[�����퓺]�!S‚Sc� P�=TR��,�=��.Ǔ�H��1�0� 0��0��1 0 UUS10U VeriSign, Inc.10U VeriSign Trust Network1;09U 2Terms of use at https://www.verisign.com/rpa (c)101.0,U%VeriSign Class 3 Code Signing 2010 CAt%S�����MI�h0 +���0 +�7(10 *�H��  1  +�70 +�7 10  +�70" +�7 10��www.adobe.com 0# *�H��  1�:U��Y�A$�{�|����Z�0  *�H�� �H�/���옕���S2�%���N�8��(-���o�����<��1�2���O���*9�+z�/]b����Hzk���&}j����O�����TE�À��7E|T�V�TW.Yf�����S��W��:�o�tW]����>�H8�Tգ44����H��Y��v�_��k��$n�q�,$Cq��CpNH�1��x}Ѣ�(փ+�����x��ӡP �ئSl��9�D��H�+��.8s�ك�a {PkWWGh����0�{ *�H��  1�l0�h0g0S1 0 UUS10U VeriSign, Inc.1+0)U"VeriSign Time Stamping Services CAy�����Bٸ>����0 +�]0 *�H��  1  *�H�� 0 *�H��  1 120920172836Z0# *�H��  1��Y�6{�8�>|�&|no�bX0  *�H�� ��|�H���O��gZ,U�j��,2�9Jg����2��^D�:��5�!�7j 6Ӱj�),R�m*:�Xe7�˝02@b�Xa� ��#|��,�|�9���Ǟ�������3��N3�nT�H����Á��
Comments should not be blank
Rating
Description

मुझे कुछ कहना है दिलीप त्रिवेदी का पहला कविता-संकलन है I इनकी कविताओं में मानव जीवन के सभी रंग झलकते हैंI ज़िंदगी में जितने भी रंग हैं उन सभी को अपनी कविता के कैनवास पर छिड़क कर उन्होंने ये संकलन तैय्यार किया है. उनकी कविताओं में हर्ष है, विषाद है, प्रेम और रोमैन्स है, हास्य-व्यंग हैI राजनैतिक घटनाओं और कोविड -काल की भयावहता, इंसान की विवशता, और उससे उपजी आम आदमी की समस्याओं का वर्णन इस संकलन में उनकी कविताओं में है I पर इन सब अलग-अलग भावों को जो एक भाव एक सूत्र में पिरोता है, वो है उनका जीवन के प्रति अटल आशावाद I

Table of contents
1.इबादत
2.एक ख़्वाहिश
3.सुबह
4.ज़िंदगीनामा
5.अल्फ़ाज़
6.इमारतें
7.एक इल्तिज़ा
8.तर्ज़-ए-ज़िंदगी
9.बुलबुला
10.ग़ुरूर-ए-जवानी
11.जाविदां कहानी
12.ख़्वाब
13.उम्मीद
14.जुस्तजू
15.हौसले
16.कदम उठा के तो देखो
17.छांह न ढूँढो
18.पसीना
19.जुलूस
20.आराइशे शहर
21.आँखों में जलन
22.बदलाव
23.आईना
24.आज का चलन
25.नया सबेरा
26.आया चुनाव
27.प्रजातंत्र की जयजयकार
28.जम्हूरियत
29.एक गुज़ारिश
30.अपने किस्से, अपने फ़साने
31.आलमे जुल्मत
32.शोला
33.क़त्ल का फ़रमान
34.आज का हिंदुस्तान
35.झुनझुना
36.गुरु दक्षिणा
37.इंतज़ार
38.रात
39.खिजां
40.गुज़रा ज़माना
41.सुबह भी तो होगी
42.यादें
43.लम्हों का सफ़र
44.रौशन रातें
45.चाँदनी रात
46.तुम हो
47.सदा
48.महबूब के नाम
49.ख़याल
50.पर तुम नहीं आयीं
51.मश्के सुख़न
Excerpt

मुझे कुछ कहना है

मुझे कुछ कहना है

मुझे कुछ कहना है

दिलीप त्रिवेदी

मुझे कुछ कहना है

दिलीप त्रिवेदी

पहला संस्करण, 2023

© दिलीप त्रिवेदी, 2023

इस प्रकाशन का कोई भी भाग लेखक की पूर्व अनुमति के बिना (संक्षिप्त उद्धरण के मामले को छोड़कर) पुनः प्रस्तुत, फ़ोटोकॉपी सहित किसी भी रूप में या किसी भी माध्यम से वितरित, या प्रसारित, रिकॉर्डिंग, या अन्य इलेक्ट्रॉनिक या यांत्रिक़ तरीके से नहीं किया जा सकता है। आलोचनात्मक समीक्षाओं और कुछ अन्य गैर वाणिज्यिक प्रयगों की कॉपीराइट कानून द्वारा अनुमति है। अनुमति के अनुरोध के लिए प्रकाशक को नीचे दिए गए पते पर लिखें।

यह पुस्तक भारत से केवल प्रकाशकों या अधिकृत आपूर्तिकर्ता द्वारा निर्यात की जा सकती है। यदि इस शर्त का उल्लंघन हुआ तो वह सिविल और आपराधिक अभियोजन के अंतर्गत आएगा ।

पेपरबैक आई एस बी एन: 978-81-19221-31-8

नोट: पुस्तक का संपादन और मुद्रण करते समय उचित सावधानी बरती गई है। अनजाने में हुई गलती की ज़िम्मेदारी न लेखक और न ही प्रकाशक की होगी।

पुस्तक के उपयोग से होने वाली किसी भी प्रत्यक्ष परिणामी या आकस्मिक नुकसान के लिए प्रकाशक उत्तरदायी नहीं होंगे। बाध्यकारी त्रुटि, ग़लत प्रिंट, गुम पृष्ठ, आदि की सम्पूर्ण ज़िम्मेदारी प्रकाशक की होगी। ख़रीद की एक महीने के भीतर ही पुस्तक का (वही संस्करण/ पुनः मुद्रण) प्रतिस्थापन हो सकेगा।

भारत में मुद्रित और बाध्य

।nfo@16leaves.com

पहला संस्करण, 2023

© दिलीप त्रिवेदी, 2023

इस प्रकाशन का कोई भी भाग लेखक की पूर्व अनुमति के बिना (संक्षिप्त उद्धरण के मामले को छोड़कर) पुनः प्रस्तुत, फ़ोटोकॉपी सहित किसी भी रूप में या किसी भी माध्यम से वितरित, या प्रसारित, रिकॉर्डिंग, या अन्य इलेक्ट्रॉनिक या यांत्रिक़ तरीके से नहीं किया जा सकता है। आलोचनात्मक समीक्षाओं और कुछ अन्य गैर वाणिज्यिक प्रयगों की कॉपीराइट कानून द्वारा अनुमति है। अनुमति के अनुरोध के लिए प्रकाशक को नीचे दिए गए पते पर लिखें।

यह पुस्तक भारत से केवल प्रकाशकों या अधिकृत आपूर्तिकर्ता द्वारा निर्यात की जा सकती है। यदि इस शर्त का उल्लंघन हुआ तो वह सिविल और आपराधिक अभियोजन के अंतर्गत आएगा ।

पेपरबैक आई एस बी एन: 978-81-19221-31-8

नोट: पुस्तक का संपादन और मुद्रण करते समय उचित सावधानी बरती गई है। अनजाने में हुई गलती की ज़िम्मेदारी न लेखक और न ही प्रकाशक की होगी।

पुस्तक के उपयोग से होने वाली किसी भी प्रत्यक्ष परिणामी या आकस्मिक नुकसान के लिए प्रकाशक उत्तरदायी नहीं होंगे। बाध्यकारी त्रुटि, ग़लत प्रिंट, गुम पृष्ठ, आदि की सम्पूर्ण ज़िम्मेदारी प्रकाशक की होगी। ख़रीद की एक महीने के भीतर ही पुस्तक का (वही संस्करण/ पुनः मुद्रण) प्रतिस्थापन हो सकेगा।

भारत में मुद्रित और बाध्य

।nfo@16leaves.com

पहला संस्करण, 2023

© दिलीप त्रिवेदी, 2023

इस प्रकाशन का कोई भी भाग लेखक की पूर्व अनुमति के बिना (संक्षिप्त उद्धरण के मामले को छोड़कर) पुनः प्रस्तुत, फ़ोटोकॉपी सहित किसी भी रूप में या किसी भी माध्यम से वितरित, या प्रसारित, रिकॉर्डिंग, या अन्य इलेक्ट्रॉनिक या यांत्रिक़ तरीके से नहीं किया जा सकता है। आलोचनात्मक समीक्षाओं और कुछ अन्य गैर वाणिज्यिक प्रयगों की कॉपीराइट कानून द्वारा अनुमति है। अनुमति के अनुरोध के लिए प्रकाशक को नीचे दिए गए पते पर लिखें।

यह पुस्तक भारत से केवल प्रकाशकों या अधिकृत आपूर्तिकर्ता द्वारा निर्यात की जा सकती है। यदि इस शर्त का उल्लंघन हुआ तो वह सिविल और आपराधिक अभियोजन के अंतर्गत आएगा ।

पेपरबैक आई एस बी एन: 978-81-19221-31-8

नोट: पुस्तक का संपादन और मुद्रण करते समय उचित सावधानी बरती गई है। अनजाने में हुई गलती की ज़िम्मेदारी न लेखक और न ही प्रकाशक की होगी।

पुस्तक के उपयोग से होने वाली किसी भी प्रत्यक्ष परिणामी या आकस्मिक नुकसान के लिए प्रकाशक उत्तरदायी नहीं होंगे। बाध्यकारी त्रुटि, ग़लत प्रिंट, गुम पृष्ठ, आदि की सम्पूर्ण ज़िम्मेदारी प्रकाशक की होगी। ख़रीद की एक महीने के भीतर ही पुस्तक का (वही संस्करण/ पुनः मुद्रण) प्रतिस्थापन हो सकेगा।

भारत में मुद्रित और बाध्य

।nfo@16leaves.com

आभार

यूँ तो समय-समय पर मेरे सभी दोस्त और परिचित मुझे अपनी कविताओं को प्रकाशित करने के लिए प्रोत्साहित करते रहे हैं पर मैंने अब तक इसे कभी गम्भीरता से नहीं लिया था। मैं उन सभी मित्रों और शुभचिंतकों का शुक्रगुज़ार हूँ जिन्होंने प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में मुझे इस अभियान के लिए प्रेरित किया।

दो मित्रों का यहाँ पर ज़िक्र करना और उनका शुक्रिया अदा करना ज़रूरी है। एक तो है मेरा स्कूल का सहपाठी, गौतम सरकार, जिसने मेरे मन के किसी कोने में छुपी, दबी इस ख़्वाहिश को माचिस लगा कर भड़काया और मुझे अपनी कविताओं को सबके सामने लाने पर आमादा किया; और दूसरे, मेरे ही स्कूल के मेरे सीनियर श्री अरुण रॉय जिन्होंने मेरे आत्मविश्वास और लगन की कंपकंपाती लौ को अपनी मज़बूत हथेलियों से ढक कर महफ़ूज़ रखा, बुझने नहीं दिया। ये किताब अगर आज आपके हाथों में है तो इसका ज़्यादा श्रेय इन दो महानुभावों को जाता है।

इनके अलावा मै ख़ास तौर पर शुक्रगुज़ार हूँ श्री के. पी. एस. वर्मा साहब और श्रीमती सुषमा सक़्सेना जी का जिन्होंने बहुत धीरज के साथ इसे पढ़ा और अपने बेशक़ीमती मशवरे दे कर इसे बेहतर बनाने में मेरी अहम मदद की।

और मेरी शरीके-हयात रत्ना, जहाँ से मेरी हर बात शुरू होती है और वहीं पहुँच कर मुकम्मल होती है। मेरी हर कोशिश में उनका बेलौस साथ होता है और जिनकी मदद के बिना मेरा कोई काम पूरा नहीं होता।

अंत में मैं शुक्र गुज़ार हूँ, मेरे प्रकाशक 16Leaves और उनकी टीम का जिन्होंने ने इसे आप तक पहुँचाया। वर्ना ये गुमनामी के अंधेरे में ही खोयी रहतीं।

आभार

यूँ तो समय-समय पर मेरे सभी दोस्त और परिचित मुझे अपनी कविताओं को प्रकाशित करने के लिए प्रोत्साहित करते रहे हैं पर मैंने अब तक इसे कभी गम्भीरता से नहीं लिया था। मैं उन सभी मित्रों और शुभचिंतकों का शुक्रगुज़ार हूँ जिन्होंने प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में मुझे इस अभियान के लिए प्रेरित किया।

दो मित्रों का यहाँ पर ज़िक्र करना और उनका शुक्रिया अदा करना ज़रूरी है। एक तो है मेरा स्कूल का सहपाठी, गौतम सरकार, जिसने मेरे मन के किसी कोने में छुपी, दबी इस ख़्वाहिश को माचिस लगा कर भड़काया और मुझे अपनी कविताओं को सबके सामने लाने पर आमादा किया; और दूसरे, मेरे ही स्कूल के मेरे सीनियर श्री अरुण रॉय जिन्होंने मेरे आत्मविश्वास और लगन की कंपकंपाती लौ को अपनी मज़बूत हथेलियों से ढक कर महफ़ूज़ रखा, बुझने नहीं दिया। ये किताब अगर आज आपके हाथों में है तो इसका ज़्यादा श्रेय इन दो महानुभावों को जाता है।

इनके अलावा मै ख़ास तौर पर शुक्रगुज़ार हूँ श्री के. पी. एस. वर्मा साहब और श्रीमती सुषमा सक़्सेना जी का जिन्होंने बहुत धीरज के साथ इसे पढ़ा और अपने बेशक़ीमती मशवरे दे कर इसे बेहतर बनाने में मेरी अहम मदद की।

और मेरी शरीके-हयात रत्ना, जहाँ से मेरी हर बात शुरू होती है और वहीं पहुँच कर मुकम्मल होती है। मेरी हर कोशिश में उनका बेलौस साथ होता है और जिनकी मदद के बिना मेरा कोई काम पूरा नहीं होता।

अंत में मैं शुक्र गुज़ार हूँ, मेरे प्रकाशक 16Leaves और उनकी टीम का जिन्होंने ने इसे आप तक पहुँचाया। वर्ना ये गुमनामी के अंधेरे में ही खोयी रहतीं।

0<U 5Digital ID Class 3 - Microsoft Software Validation v21#0!UAdobe Systems Incorporated0�"0  *�H�� �0� ���S](�a��q�<9>Z������8���-kJ��'����K�w�dO��������cƲ�� p��5R�!��2, b��ד�q� Ѯq`UtRЮ�U��\�7�K\��Ԓ��b�js�P��V�J^r����Ӓ���k �'O�Q�^i��g�(�� ��|�Z�xk�v�2C�r?�ri�T� ������CԒtJ����0K��@XW`֏������COe?r^���q�)�� x���K���͡������{0�w0 U00U��0@U90705�3�1�/http://csc3-2010-crl.verisign.com/CSC3-2010.crl0DU =0;09 `�H��E0*0(+https://www.verisign.com/cps0U% 0 +0q+e0c0$+0�http://ocsp.verisign.com0;+0�/http://csc3-2010-aia.verisign.com/CSC3-2010.cer0U#0�ϙ��{&�KɎ���&��ҧ�0 `�H��B0 +�70�0  *�H�� ��ha���RĎA�}o�����˷k��8eb1Dۛ�93����l������[�O-Y���cּ�+t{-�t6�^����{���8L�,��N*���􍕁3�d�HD"4_cq�h��Q�8������%�� ��0�� ~�;��#� �%� ���2����R�ٚ*>���A.�/oI �l�+��/��}�iߔ��v���4+v��.>��jA���/���l @@�O!������gs�`����K(5���0� 0��R�%V�����K3�0  *�H�� 0��1 0 UUS10U VeriSign, Inc.10U VeriSign Trust Network1:08U 1(c) 2006 VeriSign, Inc. - For authorized use only1E0CU ߖ���q�U�&J@<��&� �m���%{Ͽ?�/���wƵV�z;T0S�b4���Z�(��LN~[�������u���G��r�.4���L~��O =W�0֦6�րv�.��~4-����0��0U�0�0pU i0g0e `�H��E0V0(+https://www.verisign.com/cps0*+0https://www.verisign.com/rpa0U�0m+ a0_�]�[0Y0W0U image/gif0!00+�������k�πj�H,{.0%#http://logo.verisign.com/vslogo.gif04U-0+0)�'�%�#http://crl.verisign.com/pca3-g5.crl04+(0&0$+0�http://ocsp.verisign.com0U%0++0(U!0�010UVeriSignMPKI-2-80Uϙ��{&�KɎ���&��ҧ�0U#0��e�����0 �C9��3130  *�H�� �V"�4��a�H��V�dٌ�Ļ� �z�"�G8J-l�q|�p���O� S�^�t�I$��&�G�Lc���4��E� �&sЩ�dm�q��E`YQ9�Xk�Ԥ�yk Ar�7" �#�?D��a�̱�\�=ҍ�B=e6Դ=@(���#&�K ː]�L4�<��7�o� �4�&ٮ �Ś���!�3o��X�%|tX�uc?�1|�����Sv�[�����퓺]�!S‚Sc� P�=TR��,�=��.Ǔ�H��1�0� 0��0��1 0 UUS10U VeriSign, Inc.10U VeriSign Trust Network1;09U 2Terms of use at https://www.verisign.com/rpa (c)101.0,U%VeriSign Class 3 Code Signing 2010 CAt%S�����MI�h0 +���0 +�7(10 *�H��  1  +�70 +�7 10  +�70" +�7 10��www.adobe.com 0# *�H��  1�:U��Y�A$�{�|����Z�0  *�H�� �H�/���옕���S2�%���N�8��(-���o�����<��1�2���O���*9�+z�/]b����Hzk���&}j����O�����TE�À��7E|T�V�TW.Yf�����S��W��:�o�tW]����>�H8�Tգ44����H��Y��v�_��k��$n�q�,$Cq��CpNH�1��x}Ѣ�(փ+�����x��ӡP �ئSl��9�D��H�+��.8s�ك�a {PkWWGh����0�{ *�H��  1�l0�h0g0S1 0 UUS10U VeriSign, Inc.1+0)U"VeriSign Time Stamping Services CAy�����Bٸ>����0 +�]0 *�H��  1  *�H�� 0 *�H��  1 120920172836Z0# *�H��  1��Y�6{�8�>|�&|no�bX0  *�H�� ��|�H���O��gZ,U�j��,2�9Jg����2��^D�:��5�!�7j 6Ӱj�),R�m*:�Xe7�˝02@b�Xa� ��#|��,�|�9���Ǟ�������3��N3�nT�H����Á�� ߖ���q�U�&J@<��&� �m���%{Ͽ?�/���wƵV�z;T0S�b4���Z�(��LN~[�������u���G��r�.4���L~��O =W�0֦6�րv�.��~4-����0��0U�0�0pU i0g0e `�H��E0V0(+https://www.verisign.com/cps0*+0https://www.verisign.com/rpa0U�0m+ a0_�]�[0Y0W0U image/gif0!00+�������k�πj�H,{.0%#http://logo.verisign.com/vslogo.gif04U-0+0)�'�%�#http://crl.verisign.com/pca3-g5.crl04+(0&0$+0�http://ocsp.verisign.com0U%0++0(U!0�010UVeriSignMPKI-2-80Uϙ��{&�KɎ���&��ҧ�0U#0��e�����0 �C9��3130  *�H�� �V"�4��a�H��V�dٌ�Ļ� �z�"�G8J-l�q|�p���O� S�^�t�I$��&�G�Lc���4��E� �&sЩ�dm�q��E`YQ9�Xk�Ԥ�yk Ar�7" �#�?D��a�̱�\�=ҍ�B=e6Դ=@(���#&�K ː]�L4�<��7�o� �4�&ٮ �Ś���!�3o��X�%|tX�uc?�1|�����Sv�[�����퓺]�!S‚Sc� P�=TR��,�=��.Ǔ�H��1�0� 0��0��1 0 UUS10U VeriSign, Inc.10U VeriSign Trust Network1;09U 2Terms of use at https://www.verisign.com/rpa (c)101.0,U%VeriSign Class 3 Code Signing 2010 CAt%S�����MI�h0 +���0 +�7(10 *�H��  1  +�70 +�7 10  +�70" +�7 10��www.adobe.com 0# *�H��  1�:U��Y�A$�{�|����Z�0  *�H�� �H�/���옕���S2�%���N�8��(-���o�����<��1�2���O���*9�+z�/]b����Hzk���&}j����O�����TE�À��7E|T�V�TW.Yf�����S��W��:�o�tW]����>�H8�Tգ44����H��Y��v�_��k��$n�q�,$Cq��CpNH�1��x}Ѣ�(փ+�����x��ӡP �ئSl��9�D��H�+��.8s�ك�a {PkWWGh����0�{ *�H��  1�l0�h0g0S1 0 UUS10U VeriSign, Inc.1+0)U"VeriSign Time Stamping Services CAy�����Bٸ>����0 +�]0 *�H��  1  *�H�� 0 *�H��  1 120920172836Z0# *�H��  1��Y�6{�8�>|�&|no�bX0  *�H�� ��|�H���O��gZ,U�j��,2�9Jg����2��^D�:��5�!�7j 6Ӱj�),R�m*:�Xe7�˝02@b�Xa� ��#|��,�|�9���Ǟ�������3��N3�nT�H����Á��
User Reviews
Comments should not be blank
Rating