उस्तादों से सुनी है,
किताबों में पढ़ी है,
ज़िंदगी जिसे कहते हैं,
पहेली ये बड़ी है।
कोई कहता है,
ये ज़िंदगी गुलज़ार है,
तो किसी के दामन में,
बस ख़ार ही ख़ार हैं।
किसी की राह है,
जैसे तलवार की धार,
किसी पर है हमेशा,
ख़ुशियों की बौछार।
कोई कहता है,
ये ज़िंदगी है फ़ानी,
कुछ नहीं अपना यहाँ,
हर चीज़ आनी जानी।
आलिमों की ये बातें हैं,
हमने तो ये जाना है,
ज़िंदगी कुछ नहीं,
रिश्तों का ताना-बाना है।
हर मसर्रत है बेकार