Mujhe Kuch Kehna Hai
ISBN 9788119221370

Highlights

Notes

  

ज़िंदगीनामा

उस्तादों से सुनी है,

किताबों में पढ़ी है,

ज़िंदगी जिसे कहते हैं,

पहेली ये बड़ी है।

कोई कहता है,

ये ज़िंदगी गुलज़ार है,

तो किसी के दामन में,

बस ख़ार ही ख़ार हैं।

किसी की राह है,

जैसे तलवार की धार,

किसी पर है हमेशा,

ख़ुशियों की बौछार।

कोई कहता है,

ये ज़िंदगी है फ़ानी,

कुछ नहीं अपना यहाँ,

हर चीज़ आनी जानी।

आलिमों की ये बातें हैं,

हमने तो ये जाना है,

ज़िंदगी कुछ नहीं,

रिश्तों का ताना-बाना है।

हर मसर्रत है बेकार

मसर्रत = ख़ुशी

जो तू अपनों से बेगाना है,

हर मुश्किल है आसां,

जो कोई शाना-ब-शाना है।

शाना-ब-शाना= कंधे से कंधा मिलाकर, साथ-साथ

होती है ज़िंदगी मुकम्मल,

लम्हों के बसर में,

हर एक लम्हे को बस,

मुकम्मल बनाना है।