बच्चा रो-रो कर बेहाल था,
बेचारे का भूख से बुरा हाल था।
अजी, दूध की तो छोड़िये,
यहाँ पानी में आटे का घोल भी मुहाल था।
माँ थी बेचारी बेहद हैरान-परेशान,
बच्चे का रोना करे जी को हलकान।
माँ थी परेशान, बाप था दुखी,लाचार,
मुद्दत से काम नहीं कोई, बैठा बेकार।
ग़रीबी और बेकारी का मारा,
बेबस, मजबूर और नाकारा।
तभी एक मीठी आवाज़ कानों में आयी,
अंधेरे में उम्मीद की रौशनी झिलमिलायी।
गली में एक फेरी वाला आया था,
झोले में अपने ढेरों खिलौने लाया था।
झोंपड़े के आगे रुका और मुस्कराया,
झोले से एक झुनझुना निकालकर दिखलाया।
ये झुनझुना ख़रीदें ये है बड़ा कारसाज़,
आपकी सारी तकलीफ़ों का इकलौता इलाज।
जी हाँ आज कल मैं झुनझुने बेचता हूँ,
मैं तरह-तरह के झुनझुने बेचता हूँ,
मैं किसम-किसम के झुनझुने बेचता हूँ।
ये झुनझुना लीजिए, इसमें हैं बड़े गुन,
इसे बजाने से निकलती है रामनामी धुन।
और ये देखिए, ये झुनझुना है बेहद नायाब,
इससे निकलती है गोलियों की आवाज़।
इसे अवाम को मुफ़्त में दिया जायेगा,
बजाने से दुश्मन फ़ौरन भाग जायेगा।
और भी हैं बहुत से झुनझुने, पर छोड़िये,
आप तो सिर्फ़ ये झुनझुना ही लीजिये।
ये लोरी सुनाता है, बच्चे को नींद आ जाएगी,
थोड़ी देर को ही सही,आपकी मुश्किल हल हो जाएगी।