Mujhe Kuch Kehna Hai
ISBN 9788119221370

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बुलबुला

पानी का बुलबुला है, दुनिया है ये फ़ानी,

तेरी है ना मेरी, कहते हैं सभी ज्ञानी।

फ़ानी = नश्वर

किसकी राह देखे तू किसको पुकारे है,

सब हैं अपनी धुन में, छोड़ ये नादानी।

रिश्तों को निभाए है, अपनों को मनाये है,

है ये रेत हथेली पे, मुठ्ठी में न आनी।

तिनकों से बनाया था, सपनों से सजाया था,

बिखरा जो नशेमन तो क्यों आँख में है पानी।

दो दिन की ये महफ़िल, दो दिन की जिंदगानी,

ले काम मोहब्बत से, छोड़ बदगुमानी।