किसकी राह देखे तू किसको पुकारे है,
सब हैं अपनी धुन में, छोड़ ये नादानी।
रिश्तों को निभाए है, अपनों को मनाये है,
है ये रेत हथेली पे, मुठ्ठी में न आनी।
तिनकों से बनाया था, सपनों से सजाया था,
बिखरा जो नशेमन तो क्यों आँख में है पानी।
दो दिन की ये महफ़िल, दो दिन की जिंदगानी,
ले काम मोहब्बत से, छोड़ बदगुमानी।