Mujhe Kuch Kehna Hai
ISBN 9788119221370

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Notes

  

छांह न ढूँढो

नहीं जो राह में शजर तो छांह की इल्तिज़ा न करो,

हो खौ़फ धूप का तो सफर की इब्तिदा न करो।

शजर = पेड़, इल्तिज़ा = माँग, इब्तिदा = शुरुआत

मिलेंगे राह में कई हसीं-ओ-दिलफ़रेब मंज़र,

जो रुक गये तो आरज़ू-ए-मंज़िल की ख़ता न करो।

हसीं-ओ-दिलफ़रेब = सुंदर और मोहक मंज़र = दृश्य

आयें जो राह में मुश्किल-ओ-अजाब तुम पर,

करो मुक़बिला बढ़कर, खुदा-खुदा न करो।

नहीं कोई जंजीर जो रोक सके तुमको,

वहम है ये इसे दिल में रखा न करो।