Mujhe Kuch Kehna Hai
ISBN 9788119221370

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Notes

  

आज का चलन

ये किन गर्दिशों में मेरा वतन है,

कहें रात को दिन ये कैसा चलन है।

गर्दिश = विपत्ति, संकट, बुरे दिन

चैन-ओ-अमन की वो करता है बातें,

तर-ब-तर खून में जिसका पैराहन है।

पैराहन = पोशाक

लिखने चला जो मैं दास्ताँ-ए-दर्दे-दौरां,

छिन गई रौशनाई ज़ब्त मेरी कलम है।

दास्ताँ-ए-दर्दे-दौरां = इस दौर के दर्द की कहानी

करे ज़ुल्म को ज़ब्त गर इंसाँ तो जानो,

वो ज़िंदा नहीं वो तो ज़िंदा दफ़न है।

‘ज़ब्त‘ के दो मतलब हैं- १ छिन जाना, २ बर्दाश्त

लग गये सबके मुँह पर दहशत के ताले,

जहाँ देखिए अब अमन ही अमन है।

अमन = शांति

पसे-मस्लहत है यहाँ जिसको देखो,

होठों पे निस्बत दिल में जलन है।

पसे-मस्लहत = औपचारिकता के पीछे , मुखौटे के पीछे

निस्बत = प्यार, लगाव