Mujhe Kuch Kehna Hai
ISBN 9788119221370

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Notes

  

इबादत

भोर की लाली में, क़ुदरत की दीवाली में,

फूलों में, पत्तों में, लचकती डाली में,

खेतों में, बगीचों में, गेहूँ की बाली में,

मैंने तुझे देखा है।

लहरों की उठान में, पर्वत की शान में,

परिंदों की,तितलियों की उड़ान में,

गीतों की तान में, बच्चे की मुस्कान में,

मैंने तुझे देखा है।

मुझे क्या काम काशी से, काबे से, कलीसे से,

क़ुदरत के हर ज़र्रे में तेरे नूर को देखा है।

मैंने तुझे देखा है।।

कलीसा = गिरजाघर