Mujhe Kuch Kehna Hai
ISBN 9788119221370

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मश्के सुख़न

(कवितायें लिखने की मेहनत)

ज़ेहन में उठते तमाम ख़यालात,

दिल की गहराइयों में डूबते-उतराते,

वो तमाम अनकहे जज़्बे,

खो जाते हैं फ़िज़ा में,

ख़ुशबू की तरह।

काग़ज़ पर आते-आते,

बिखर जाते हैं सारे तस्सवुरों के फूल,

ताश के पत्तों के घर के मानिंद,

मैं कलम हाथ में लिए बैठा हूँ,

के कहूँ कोई ग़ज़ल या नज़्म

लिखूँ कोई गीत या कविता।

जैसे कोई छोटा बच्चा,

तितलियों के पीछे भागे,

मैं ख़यालों का पीछा करता हूँ,

जो अभी यहाँ थे,

और अब हैं ओझल।