कदम उठा के तो देखो
मुश्किल है मंज़िल नामुमकिन तो नहीं है ,
जरा इक कदम उठा कर तो देखो।
एक और एक मिलकर ग्यारह बने हैं,
जरा कंधे से कंधा मिला कर तो देखो।
है दिलों की दूरी या नज़र का धोका,
आवाज़ दे कर हमें बुलाकर तो देखो।
शिकवों में गुजरी मुलाक़ात सारी,
जरा वक़्ते-रुख़सत मुस्करा कर तो देखो।
वक़्ते-रुख़सत = विदा के समय
ज़िंदगी लम्हों का इक क़ाफ़िला है,
किसी लम्हे को ज़िंदगी बनाकर तो देखो।
आराइश-ए-आशियाना तो है बेहद दिलकश,
झोपड़े में किसी के दिया जला कर तो देखो।
आराइश-ए-आशियाना = घर की सजावट