पसीना
ये जो तेरे माथे पे छलका सा पसीना है,
और कुछ नहीं तेरे किरदार पे नगीना है।
किरदार = चरित्र
जो भरोसा है बाज़ुओं पे, तो मिलेंगे तुझको साहिल,
क्या हुआ आज जो भँवर में सफ़ीना है।
साहिल = किनारा सफ़ीना =नाव
है ज़िंदगी वही जो तूफ़ानों से खेलते गुज़रे,
वर्ना क्या है मरना और क्या ही जीना है।
माना के तू नहीं आफ़ताब, इक शमा ही सही,
जहाँ नहीं तो एक घर को कर रौशन, यही करीना है।
ज़िंदगी मिलती नहीं दोबारा, इसे न ज़ाया कर,
जो दे ज़हर का प्याला भी तो हंस के पीना है।
ज़ाया = बेकार