Mujhe Kuch Kehna Hai
ISBN 9788119221370

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Notes

  

गुज़रा ज़माना

गुज़रे जमाने को याद करता हूँ,

ज़िंदगी से यूँ मैं बात करता हूँ।

दोस्तों की इनायत रहे मुझ पर,

दुआ यही मैं दिन-रात करता हूँ।

है इक सहर शबे-अलम के उस तरफ़,

इस उम्मीद से रौशन मैं रात करता हूँ।

शबे- अलम = दुःख भरी रात

जब कोई बात दिल पे चोट कर जाये,

यूँ ही मुस्कुरा कर मैं बात करता हूँ।

जैसे गंगा में बहाया हो कोई दिया

मैं ये अशआर अपने पेश करता हूँ।