काली रातों में रौशनी तलाश करता हूँ,
मैं इक लम्हे में ज़िंदगी तलाश करता हूँ।
देखी जो मैंने अपनों की बदलती नज़रें,
अब ग़ैरों में नज़दीकियाँ तलाश करता हूँ।
यूँ तो जो मिला मुस्कुराता हुआ ही मिला,
मैं तिरी नज़रों में नज़दीकियाँ तलाश करता हूँ।
बढ़ गयीं तारिकियाँ यूँ इस क़दर मेरी,
मैं एक नया आफ़ताब तलाश करता हूँ।