Mujhe Kuch Kehna Hai
ISBN 9788119221370

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Notes

  

बदलाव

बदलो, मगर इतना भी न बदलो,

कि तुम्हें न दें दिखाई-

दोस्त, अहबाब और

दिल की लिखाई।

बदलो, मगर इतना भी न बदलो,

कि तुम्हें न दे सुनाई

मजलूम की चीख़, घायल की कराह, ग़रीब की दुहाई।

बदलो, मगर इतना भी न बदलो,

कि बदल जाएँ परिभाषाएँ

सच, झूठ, ईमान, देशप्रेम

और इतिहास की गाथाएँ।

हाँ, बदलो अगर बदलना ही है तो,

तंग दिल, जाहिल दिमाग, गंदी जुबान

और अंधेरे में कैद ख़याल।