Mujhe Kuch Kehna Hai
ISBN 9788119221370

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चाँदनी रात

चाँदनी रात है, तुम आओ तो कोई बात बने,

अपनी ज़ुल्फ़ें बिखराओ तो कोई बात बने।

रात है भीगी-भीगी, हवाओं में घुली है शबनम,

चाँदनी बन कर बरस जाओ तो कोई बात बने।

यूँ तो हैं दोस्त हाज़िर गमगुसारी के लिए,

तुम जो पूछो हाल-ए-दिल तो कोई बात बने।

गमगुसारी = दुःख बाँटना, हमदर्दी

तुम्हारा ज़िक्र हुआ तो सम्हल के बैठ गए,

किसी बात से निकले तुम्हारी बात तो कोई बात बने।

जाम से जाम टकराते है मयखाने में ‘दिलीप’,

तुम निगाहों से पिलाओ तो कोई बात बने।