Mujhe Kuch Kehna Hai
ISBN 9788119221370

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Notes

  

अपने किस्से, अपने फ़साने

सबके अपने-अपने क़िस्से सबके अपने फ़साने हैं,

कोई गा कर सुना रहा तो कहीं पे ज़ब्त ज़ुबानें हैं।

एहसासों की गागर ख़ाली पर शब्दों की भरमार यहाँ,

मरहम नहीं रहा देने को लफ़्फ़ाज़ी के नुस्ख़े पुराने हैं।

उजड़े दिल और रीती आँखें लेकर वापस आये हैं,

सपने सारे बिखर गए अब दूर तलक वीराने हैं।

चलता रहता है ये इंसाँ चलना इसकी किस्मत है,

पाओं के छालों में लिक्खे इसकी क़िस्मत के फ़साने हैं।

प्लैट्फ़ॉर्म पर लाश पड़ी है नज़रें चुरा रही दुनिया,

शब्दों के दो फूल चढ़ा दो ये भी दस्तूर निभाने हैं।