रौशन रातों की खनक अभी बाक़ी है,
रंग और नूर की गमक अभी बाक़ी है।
मेरे नाम पर यूँ अश्क़ बहाने वालो,
इस जिस्म में साँस अभी बाक़ी है।
न रहा साथ तो क्या, गम न कर,
दिल में वो महकी मुलाक़ात अभी बाक़ी है।
है अंधेरा और न कहीं रौशनी का सुराग,
हूँ मगर ज़िन्दा के इक आस अभी बाक़ी है।
दमे आख़िर भी चैन मिलता नहीं मुझको,
क्या करूँ इस दिल में प्यास अभी बाक़ी है।