Mujhe Kuch Kehna Hai
ISBN 9788119221370

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अल्फ़ाज़

अल्फ़ाज़ ही अल्फ़ाज़ हैं, हर तरफ़ अल्फ़ाज़

आओ करें बात हम अल्फ़ाज़ों की आज।

अल्फ़ाज़= शब्द

वेदों के भेद खोलें कहीं तो ये अल्फ़ाज़

मस्जिद से जो पुकारें वो भी हैं अल्फ़ाज़।

क़िस्सों कहानियों की पहचान हैं अल्फ़ाज़

कविताओं-शायरी की जान हैं अल्फ़ाज़।

हीर-राँझे का बयाने-इश्क़ हैं अल्फ़ाज़,

दास्ताने-लैला-मजनू सुनाए हैं अल्फ़ाज़।

खोलें दिल के राज़ अगर सच्चे हों अल्फ़ाज़,

औ’ लगें बेसुरे साज़ जो तल्ख़ हों अल्फ़ाज़।

प्यार का पयाम सुनायें वो भी हैं अल्फ़ाज़,

नफ़रत की आग लगायें वो भी हैं अल्फ़ाज़।

लगें हों जैसे मरहम जो हमदर्द हों अल्फ़ाज़,

दोस्त बने बरहम जो तीख़े हों अल्फ़ाज़।

बरहम= दुश्मन

है अक़्लमंद जिसने समझा है इनका राज

कीजिये इस्तेमाल ज़रा सोच के अल्फ़ाज़।