Mujhe Kuch Kehna Hai
ISBN 9788119221370

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रात

रात ख़ामोश है तारों को जगाया जाये,

आओ फिर कोई गीत गुनगुनाया जाये।

ज़िंदगी इक इम्तिहान है माना हमने,

आओ इसको ख़्वाबों से सजाया जाये।

ख़्वाब तो ख़्वाब हैं आँखों से उड़ जायेंगे,

ये ज़रूरी है उन्हें दिल में बसाया जाये।

वो आएँगे महफ़िल में, शर्त ये है मगर,

उनकी राहों में पलकों को बिछाया जाये।

दोस्त तो दोस्त हैं सच बतलाएँगे क्या,

है ज़रूरी के दुश्मन को भी बुलाया जाये।

ज़िंदगी बेनूर-ओ-बेस्वाद हो गयी यारों,

इसमें अब कोई मोड़ भी लाया जाये।

दिल जो टूटे तो ज़िन्दगी अजाब हो जाये,

बेहतर है के कहीं दिल न लगाया जाये।

अजाब = मुसीबत, विपदा

क्या करें तलाश दैरो हरम में “दिलीप,”

आओ किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाये।

(इस ग़ज़ल का मक्ता निदा फ़ाज़ली साहब को मेरा सलाम है)