हौसले
ये जो हसरतें हैं अनजान सी,
जैसे इबारतें हैं गुमनाम सी,
इन गुमनाम इबारतों को उनवान दो,
उनवान = शीर्षक
ये जो बेबस चाहतें है दबी हुई,
जैसे चिनगारियाँ राख में ढकी हुई,
इन मासूम चाहतों को परवान दो।
परवान = मनोकामना को पूरा करना
ये जो ख़्वाब है घुटे-घुटे ,
जैसे फूल बर्फ़ में दबे हुए,
इन ख़्वाबों को इक पहचान दो।
ज़िंदगी न मिलेगी दोबारा,
जो अभी है, उसी का है सहारा,
पंख फैलाओ, हौसलों को उड़ान दो।