दिलों को जोड़ो, क़रीब आओ,
पास बैठो, नज़र मिलाओ,
तुम्हें शिकायत, हमें भी शिकवे,
कुछ हम भूलें, कुछ तुम भुलाओ।
मिली है छोटी सी ये ज़िंदगानी,
नहीं है वापस ये फिर से आनी,
दिलों में तल्ख़ी लिए हुए तुम,
करो न ज़ाया, न यूँ गँवाओ।
नहीं हुआ है कोई इस जहां में,
हुआ नहीं जो ख़तावार कभी भी,
ख़ताएँ खुद की तो माफ़ कर दीं,
खताएँ औरों की भी तो भुलाओ।