Mujhe Kuch Kehna Hai
ISBN 9788119221370
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  Pages 80

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Description

मुझे कुछ कहना है दिलीप त्रिवेदी का पहला कविता-संकलन है I इनकी कविताओं में मानव जीवन के सभी रंग झलकते हैंI ज़िंदगी में जितने भी रंग हैं उन सभी को अपनी कविता के कैनवास पर छिड़क कर उन्होंने ये संकलन तैय्यार किया है. उनकी कविताओं में हर्ष है, विषाद है, प्रेम और रोमैन्स है, हास्य-व्यंग हैI राजनैतिक घटनाओं और कोविड -काल की भयावहता, इंसान की विवशता, और उससे उपजी आम आदमी की समस्याओं का वर्णन इस संकलन में उनकी कविताओं में है I पर इन सब अलग-अलग भावों को जो एक भाव एक सूत्र में पिरोता है, वो है उनका जीवन के प्रति अटल आशावाद I

1.इबादत
2.एक ख़्वाहिश
3.सुबह
4.ज़िंदगीनामा
5.अल्फ़ाज़
6.इमारतें
7.एक इल्तिज़ा
8.तर्ज़-ए-ज़िंदगी
9.बुलबुला
10.ग़ुरूर-ए-जवानी
11.जाविदां कहानी
12.ख़्वाब
13.उम्मीद
14.जुस्तजू
15.हौसले
16.कदम उठा के तो देखो
17.छांह न ढूँढो
18.पसीना
19.जुलूस
20.आराइशे शहर
21.आँखों में जलन
22.बदलाव
23.आईना
24.आज का चलन
25.नया सबेरा
26.आया चुनाव
27.प्रजातंत्र की जयजयकार
28.जम्हूरियत
29.एक गुज़ारिश
30.अपने किस्से, अपने फ़साने
31.आलमे जुल्मत
32.शोला
33.क़त्ल का फ़रमान
34.आज का हिंदुस्तान
35.झुनझुना
36.गुरु दक्षिणा
37.इंतज़ार
38.रात
39.खिजां
40.गुज़रा ज़माना
41.सुबह भी तो होगी
42.यादें
43.लम्हों का सफ़र
44.रौशन रातें
45.चाँदनी रात
46.तुम हो
47.सदा
48.महबूब के नाम
49.ख़याल
50.पर तुम नहीं आयीं
51.मश्के सुख़न
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